
संवाददाता- कृष्णकान्त श्रीवास्तव
राधारमण कॉलेज ऑफ फार्मेसी एवं राधारमण इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज, भोपाल में “फार्माकोविजिलेंस ऑफ एएसयू एंड एच ड्रग्स” पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम हकीम सैयद जियाउल हसन शासकीय (स्वायत्त) यूनानी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, भोपाल के पेरिफेरल फार्माकोविजिलेंस सेंटर द्वारा आयोजित एवं आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों और आमजन को यह जागरूक करना था कि भ्रामक विज्ञापनों से कैसे बचें और शिकायत दर्ज करने की सही प्रक्रिया क्या है।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने बाज़ार और सोशल मीडिया पर बढ़ते आयुष दवाओं से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि कई कंपनियाँ अपनी दवाओं को चमत्कारी बताते हुए गंभीर बीमारियों को कुछ ही दिनों में ठीक करने के झूठे दावे करती हैं, जबकि यह ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ एक्ट 1954 का उल्लंघन है।
डॉ. मोहम्मद अरमान खान ने एएसयू एवं एच दवाओं की महत्ता और फार्माकोविजिलेंस की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। वहीं डॉ. मोहम्मद आरिफ ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ एक्ट 1954 के प्रावधानों की जानकारी दी और बताया कि कैसे सोशल मीडिया पर हो रहे ऐसे भ्रामक दावों से सतर्क रहना ज़रूरी है।
प्रतिभागियों को यह भी बताया गया कि ऐसे विज्ञापनों की शिकायत जीएएमए (Grievances Against Misleading Advertisement), पीपीवीसी (Peripheral Pharmacovigilance Centre) और एएससीआई (Advertising Standards Council of India) में दर्ज कराई जा सकती है।
इस अवसर पर राधारमण समूह के चेयरमैन श्री आर.आर. सक्सेना ने कहा कि, “आयुष पद्धति भारत की धरोहर है और इसकी विश्वसनीयता बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। आजकल बाज़ार और डिजिटल मीडिया पर फैल रहे भ्रामक विज्ञापन न केवल आमजन को भ्रमित कर रहे हैं बल्कि चिकित्सा पद्धति की छवि को भी प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में फार्माकोविजिलेंस जैसे कार्यक्रम लोगों को सही जानकारी देने और उन्हें जागरूक करने में अत्यंत सहायक हैं।”
कार्यक्रम में राधारमण समूह के समूह निदेशक डॉ. पी.के. लाहिरी, निदेशक विकास डॉ. सबीना मुबिन, डीन प्रशासन श्री एस.बी. खरे, डॉ. अजय सिंह, डॉ. विष्णु राज एवं डॉ. राजीव मलवीय सहित अन्य गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे।