
कागजों में नीति सख्त, ज़मीनी हकीकत में लचरः दो से ज्यादा बच्चे, फिर भी सरकारी नौकरी बरकरार
कटनी : मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से वर्षों पहले बनाई गई दो-बच्चों की नीति आज खुद सरकारी व्यवस्था की कमजोरी और उदासीनता की शिकार बनती जा रही है। कागजों में यह नीति सख्त दिखती है यदि किसी सरकारी कर्मचारी के दो से अधिक संतानें होती हैं तो वह नियुक्ति, पदोन्नति और चुनाव जैसी तमाम सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जाना चाहिए। लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे बिल्कुल उलट है।
जमीनी मामलाः कटनी जिले की तहसील स्लीमनाबाद के ग्राम छपरा निवासी तहसील ढीमरखेड़ा में पटवारी पद पर पदस्थ शैलेन्द्र झारिया एवं उनकी पत्नी स्लीमनाबाद तहसील में शिक्षक के रूप में शासकीय प्राथमिक शाला देवरी छपरा मे शिक्षक, है । आज के दौर में लड़का ,लड़की बराबर है मगर यहाँ कुछ और ही है पुत्र की चाह में चार संतान हो गई इन दोनों शासकीय कर्मचारियों के तीन लड़की और एक लड़का है । लड़का सबसे छोटा है इससे साफ स्पष्ट होता है की पुत्र की चाह के चलते चार संतान हुई है।जानकारी के मुताबिक नियुक्ति होने के बाद तीन संतानों का जन्म हुआ है। इन शासकीय कर्मचारियों की संतान का जन्म 2001 के बाद का है, जो नीति के साफ उल्लंघन में आता है।
प्रशासन की चुप्पी। सरकार लगातार मंचों से जनसंख्या नियंत्रण पर सख्त कानून बनाने की बात करती है, लेकिन अपने ही कर्मचारियों पर कोई सख्ती नहीं दिखा पा रही।
